Wednesday, January 23, 2008

नक्सली हिंसा.....................?

आज हम सभी छ्त्तीसगट कि परीस्थिति से वाकिफ़ है .राज्य मे नक्सली गतिविघियां बट रही है .आज और कल कि खबर साफ़ बताती है की अब नक्सली हमारे प्रमुख शहरो को अपना निशाना बना रहे है .आखिर ऎसी क्या बात है जिसे लेकर शासन और नक्सली आपस मे झगड रहे है .इस झगडे से जहां आम आदमी अकारण मारा जा रहा है वहीं नेता इसे अपने राजनितक नजरिये के चलते भुनाने मे लगे हुये है .
.शासन नक्सलीयों को राज्य द्रोही समझता है .और नक्सली इसे अपने विचारों कि लडाई शायद?लेकिन दोनो ही सुरत मे इसका परिणाम आम जनता भोगती है .इस लडाई मे जहां शासन के सिपाही अपनी जान हथेली मे रख कर मैदान मे उतरे है वहीं नक्सलीयों का एक समुदाय अपनी जान देने को तैयार खडा है .इस समुदाय कि विशेसता यह है की महिलाएं भी अपने जान की परवाह नही करती .यह कैसा जुनुन है आखिर वो कौन सा कारण है जो इन नक्सलीयों के जुनुन मे शामिल है .शासन तो शांती चाहती है क्यो कि जनता शांती चाहती है .जनता का आदेश तो शासन और उनके शासक को मानना ही होगा .
इन सारे बातो के पीछे मेरा आशय यह है कि राज्य की दो करोड जनता भी जाने कि राज्य विद्रोह करने वाले नक्सली आखिर चाहतें क्या है ? .अंततः ये राज्य ,ये धरती, भी तो उन्ही की है .यहां बसने वाले लोग भी उन्ही के है फ़िर ये हिसां कि सौगात किसके लिये .आम जनता नक्सलीयों के विसय मे र्सिफ़ इतना ही जानती है की इनका काम आम लोगो को मारना और दहशत फ़ैलाना है .यदि इनकी कुछ मांगे है और वो जायज है तो ये मागें आम जनता के समझ मे आने चाहिए क्योकी इनकी गतिविधियां आम जनता को प्रभावित करती है .ये गतिविधियां आम जनता की जिदगीं से जुडी हुइ है .शासन तो अपनी ओर से प्रयास करती है के जनता की सुरछा कर सके .
अखबारो मे छपे खबरो के अनुसार सुदंरनगर के डंगनिया मोड पर हथियारो से भरा बैग छोड्ने वाली महिला नक्सली अपने तीन साथियों के साथ पकडी गयी है .राज्य के बडे शहरो मे इस तरह हथियार बरामत होना साफ़ जाहिर करता है की नक्सलीयों की योजनाएं कीतनी खतरनाक रही होगी .क्या कीसी निर्दोस व्यक्ती के मरने से किसी को फ़ायदा हो सकता है .ये बात मेरी समझ से तो परे है .पर इतना जरुर कहुगां के कोइ भी इंसान हिंसा का बेवजह पछ्धर नही हो सकता चाहे हो नक्सली ही क्यों न हो .
मित्रो मेरे जहन मे जो था वो मैने बयां कर दिया हो सकता है मेरे विचारो मे कुछ त्रुटी हो ……………..

2 comments:

36solutions said...

बढिया प्रयास है । हिन्‍दी ब्‍लाग संसार में समाचार एवं समाचारों के विश्‍लेषण के अलग-अलग ब्‍लाग उपस्थित हैं । आप समाचारों के भीतर छुपे भावों पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्‍तुत करें तो पाठकों का रूझान स्‍वमेव आयेगा एवं आपको स्‍वयं संतुष्टि भी प्राप्‍त होगी । शव्‍द शैली में कसावट की आवश्‍यकता है, संजीत जी व राजेश अग्रवाल जी की शव्‍द शैली का अध्‍ययन करें और बिना लाग लपेट अंगीकार करें ।

यह धीरे धीरे अपने पाठकों के बीच में स्‍थान पाने एवं अपने ब्‍लागिंग दायित्‍व के निर्वहन का एक सशक्‍त माध्‍यम है इसके साथ ही यहां पर आपके शव्‍द ही तो आपके व्‍यक्तित्‍व के परिचायक हैं ।

Sanjeet Tripathi said...

सही मुद्दे पर सही बात बंधु!!
सहमत हूं!!

कृपया यह कमेंट से वर्ड वेरीफ़िकेशन हटाएं तो टिप्पणी करने मे सहूलियत होगी पाठकों को।

* आपका स्‍वागत है, कृपया मुझे टिप्‍पणियों के माध्‍यम से सुझाव देवें *