मित्रों सादर नमस्कार .
आप सब लोगों को पता ही होगा की छत्तीसगढ़ की सरकार कुछ दिनों बाद ३रु किलो में गरीबों को चावल देने की विकोसौन्मुख योजना बना चुकी है .इस योजना से गरीबों को लाभ मिलेगा .इसी तरह की काफी योजनाएं हमारे शासन के द्वारा बनाये जाते हैं .जिससे गरीब जनता लाभान्वित होती है .वहीं हमारे राज्य में उद्योग पतियों के लिए भे योजनाये चल रही है जिससे की वह अपने उद्योग निति को विस्तृत कर सकें और अपना उद्योग लगा सकें .
जब मैं इन नीतियों की देखता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है की कास मैं भी गरीब होता या कोई बड़ा उद्योग पति .परन्तु क्या करूं मैं एक मध्यम परिवार का पढा लिखा बेरोजगार हूँ .जिसके लिए शासन के पास भाषण देने के अलावा और कुछ नहीं है .
आइए अब विचार करतें है की क्या शासन की योजनाओं का लाभ
गरीब जनता और उद्योग पति तक पहुँचता है .
उद्योग पति तो अपनी दम्दारी और धन सम्पनता के दम पर अपना काम करवा लेते हैं परन्तु इन गरीबों की कमाई से लाभ भी उद्योग पति ही कमातें है या यूँ कहें की इसमें वो अपनी व्यापारिक कुशलता दिखातें हैं .कुछ लोग तो सम्पन्न होकर भी अपना नाम सरकारी फाइलों में कमजोर गरीब के नाम पर दर्ज करा लेते हैं आज जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है .मध्यम स्तर के परिवार के सामने एक समस्या खडी हो गयी है .गरीब तो शासन की योजनाओं के सहारे जी लेगा .उद्योग पति के पास वैसे भी कोई कमी नहीं .परन्तु वाह रे मध्यम स्तर व्यक्ति आखिर करे भी तो क्या ?बाप नौकरी में है.छोटा सा घर है घर में सुख सुविधा की चीजें भी हैं .बाप की जीवन भर की कमाई में उसने कुछ उपलब्धियाँ तो हासिल की एक तो अपने बच्चों की शादी और दूसरा एक छोटा सा घर .अब उसके बच्चों को अपने बाप की स्टेटस को बनाये रखना है .समाज में उनके मान सम्मान को बनाये रखना है .आज हर चीज को बनाये रखने के लिए अगर किसी चीज की आवश्यकता है तो वो है सिर्फ पैसा . रोजगार वान बाप का बेरोजगार बेटा इन सब चीजों को सम्हाले तो कैसे .अपना परिवार चलाने के लिए दो पैसा कमाए तो कैसे गरीबों की तरह मजदूरी करने से उसे उसके बाप का स्टेटस रोकता है .कोई बड़ा काम करने के लिए उसे उसकी पारिवारिक एवम आर्थिक स्थिति रोकती है .अरे शासन की कोई योजना भी तो नहीं है जिसका वो सहारा ले सके .क्योकि शासन तो गरीबों और उद्योग पतियों पर अपनी सारी योजनाओं का क्रियान्वन कर चूका है . मित्रों यह मेरे विचार हैं यदि आपको पसंद न आये तो छमा चाहूँगा .अच्छा लगे तो आशीर्वाद जरुर दें
2 comments:
यह तो सारे हिन्दुस्तान की कहानी है, गरीबों की परिभाषा विश्वबैक नें दिया है जिसके अनुसार यदि सहीं सर्वेक्षण हो तो गरीबी की प्रतिशत लगभग शून्य हो जायेगी इसके बावजूद मध्यमवर्गी व उच्चमध्यमवर्गी इस सूची में रिश्वत के सहारे नाम जुडवाने में सफल हो गए हैं । अब उन्हें इंतजार है ऋणों एवं अनुदान की जिसे वो डकारेंगें । गरीब और गरीब होंगें अमीर और अमीर ।
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