Sunday, January 13, 2008

गाँव वालों ने सरपंच को जलाकर मार डाला

सिमगा जनपद में आने वाले गाँव नेवारी-फुलवारी में ऐसा क्या हो गया की सारे गाँव वालों ने मिलकर अपने ही गाँव के सरपंच को जला डाला .आइए जाने ----------------

लगभग ३५ से ४० वर्ष का भोला सतनामी एक सजा याफ्ता मुजरिम था .उसके खिलाफ कई मामले थाने में दर्ज भी थे .यह युवक गाँव नेवारी का सरपंच था .फुलवारी और नेवारी ग्राम जुड़ा हुआ है और एक ही पंचायत है . घटना के रात को नेवारी में नाच गाने का कार्यक्रम था .गाँव वालों ने इस कार्यक्रम में सरपंच को निमत्रण नहीं दिया था .जिस बात को लेकर सरपंच ने उसी रात शराब पी कर खूब हंगामा मचाया .गाँव के लोग उसकी आपराधिक प्रवृति के कारण उससे डरते थे .लिहाजा उस समय किसी की हिम्मत नहीं हुई के उससे उलझे .मौके पर पुलिस भी थी .पुलिस ने सरपंच को शांत कर घर जाने को कहा .सरपंच भोला अपने घर आ कर अपने घर के ऊपर दो लौंडीस्पीकर लगा जोर जोर से अश्लील गलियां देने लगा .बेचारे गाँव वालों ने उस वक्त गालीयों को सुन खून के गुंट पी कर रह गए .ऐसे तैसे रात गुजर गयी .परन्तु सरपंच साहब का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था .

सुबह
होते ही शराब के नशे में चूर सरपंच ने अपने घर से दो तलवार निकाल दोनों गाँव के रस्ते में जा बैठा .सरपंच के साथ उसका एक साथी भी था .दोना शराब के नशे में थे .जैसे ही गाँव वालों की चहल पहल चालू हुई सरपंच तलवार दिखा कर धमकाने लगा की कोई भी गाँव वाला इस रस्ते से आना जाना नहीं करेगा .वह ग्रामीण को आने जाने से रोक रहा था .उसी समय गाँव के ४-५ ग्रामीण आये जिनसे उसने मार पिट भी की .इस बात को सुन सारा गाँव आक्रोश में आ गया और एक समूह बनाकर सारा गाँव उसे समझाने आया परन्तु सरपंच और गाँव वालों के विवाद इतना गहरा गया की गाँव वालो ने सरपंच को पीटना सुरु कर दिया जिस पर सरपंच ने ग्रामीणों पर तलवार से हमला कर दिया .अब गाँव वालो ने भी आक्रोश में आ कर उसे खूब पीटा सरपंच डर कर भगा पहले वह अपने घर जा घुसा तब गाँववालो ने उसे घर से बाहर निकल कर मारा इस बीच सरपंच के बीबी बच्चों ने भी लड़ाई छुडाने का प्रयास किया परन्तु गाँव वालो के सर पर खून सवार था .

सरपंच भोला राम को अधमरा करने के बाद ग्रामीणों उसी के घर से सारा समान निकाल कर आग लगा दिया और सरपंच को भी उसी आग के हवाले कर दिया .दरअसल गाँव वाले सरपंच की दादागिरी से त्रस्त थे .ग्रामीणों का आक्रोश आज फट पड़ा था . जब इस बात की खबर पुलिस को हुई तब तक सरपंच जल चूका था .इस घटना को सभी ग्रामवासी ने अपने सर लेकर १८० लोगों ने अपनी गिरफ्तारी पुलिस को दी .इस सारे मामले में एक बात सामने आती है की बुरे का अंत तो होता है .किन्तु क्या यह कहना सही होगा के बुरे का अंत करने के लिए हिंसा को समाज में स्थान मिलना चाहिए?

1 comment:

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म, सटीक!!

जनाक्रोश जब निकलता है तो ऐसे ही निकलता है लेकिन यह हमारे सोचने की बात है कि हम आज कैसा समाज बना चुके हैं जहां यह सब हो रहा है।

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