Friday, February 22, 2008

प्रसिध्द स्थल सोमनाथ

धार्मिक एवं प्राक्रितिक सौर्दंय से परिपुर्ण छत्तीसगढ का गौरव बढाता है शिवनाथ नदी के तट स्थित सोमनाथ . लाखों श्रध्दालु भगवान शिव का दशेन करने यहां माघ मास के महिने मे आते है .यहां की प्राक्रितिक सौर्दंयता के कारण दुर दुर से लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं .
रायपुर -बिलासपुर मार्ग पर स्थित ग्राम सांकरा(बाइस मिल) से पश्चिम दिशा मे आठ कि.मी. की दुरी पर सोमनाथ स्थित है .यह छत्तीसगढ का प्रसिध्द धार्मिक स्थल है .
शायद आप लोगो ने इसके बारे मे सुना होगा ……..
प्राक्रितिक सौन्दर्य से परिपुर्ण शिवनाथ नदी के तट पर यह भगवान शंकर का बसेरा है . जहां प्रतिवर्ष माघ पुर्णिमा को मेला लगता है जिसमे हजारों श्रध्दालु शिव जी का दर्शन करने यहां पहुचंते है सिमगा छेत्र मे यह सबसे बडे मेले के रुप मे जाना जाता है .
सोमनाथ संगम स्थल के रुप मे भी प्रसिध्द है .यहां शिवनाथ नदी और खारुन नदी का संगम हुआ है .इसे त्रिवेणी संगम कहते है .अब आप सोचेगें की दो नदियों के संगम को त्रिवेणी संगम कैसे कहते है .खारुन नदी जब यहां पहुचंती है तो अपने साथ कोल्हान नदी को समाहित किये हुए यहां आती है .इसलिए इसे त्रिवेणी संगम कहते है .
यहां आने वाले श्रध्दालु और पर्यट्क को भगवान शिव की भक्ति के साथ -साथ यहां का मनोरम द्रिश्य यहां खिचता हुआ ले आता है .नदी का किनारा ,बडे -बडे पेड चारो ओर घना जंगल एक भक्ति पुर्ण माहौल यहां रुकने के लिये किसी को भी मजबुर कर देगा .
आइए अब इस प्रसिध्द स्थल के इतिहास को जाने ……….
ऎसा बताया जाता है की करीब डेढ- दो सौ साल पहले यहां बंजारो का एक समुदाय आ कर रुका . उस वक्त यहां घनघोर जंगल था .उन बंजारो के समुदाय मे एक व्यक्ति की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गयी .इस बात की जानकारी उनके मुखिया को हुइ .मुखिया बहुत चिंतित हुआ .जब रात को मुखिया जी सो रहे थे तब उनको शिव जी का सपना आया की मै प्रगट होना चाहता हु मै यही निवास कर रहा हु .और तुम लोग जब यहां आये तो मेरी ओर ध्यान नही दिया इसिलिए तुम्हारे साथी पर विपत्ती आयी .सबेरे मुखिया ने सारी बातें अपने साथीयों को बतायी तब जन्हा मुखिया सोया था उस स्थान की खुदाई की गयी एक डेढ फ़िट खोदने के बाद उन्हे शिव लिंग आकर का पत्थर मिला .
उस पत्थर को वहीं स्थापित कर एक छोटी सी कुटिया बना कर वो बंजारों का समुह वहां से चला गया .
उस शिव लिगं की खासियत यह है की वह अभी भी भुमि मे गडा हुआ है और धीरे -धीरे बडा होता जा रहा है

(चित्र संजीव तिवारी जी एवं छ.ग.पर्यटन से साभार )

5 comments:

36solutions said...

यह स्थल मेरे हृदय में बसा है इस स्थल पर मैनें आदरणीय पवन दीवान की एक कविता को रूपांतरित कर कविता गढी है जिसे हमेंशा गाता हूं -

जहां घंटियों का सरगम है जहां वंदना की वाणी

शिवनाथ नदी की लहर लहर में हंसती कविता कल्याणी
अमर सभ्यताएं सोई हैं शिवनाथ नदी की घाटी में
मेरे भी पावन जन्मों का पुण्योदय इस माटी में
सुनकर आतुर हो जाता है जिनता लेने पावन नाम

अखिल विश्व के शांतिप्रदायक सोमनाथ जी तुम्हें प्रणाम

संजीव

Sanjeet Tripathi said...

बढ़िया जानकारी बंधु, शुक्रिया!

सुनीता शानू said...

बहुत बढ़िया जानकारी है शुक्रिया! मिसेज संजीव व मास्टर संजीव को देख कर भी अत्यन्त खुशी हुई...

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया जानकारी

महावीर said...

बहुत बढ़िया जानकारी है जो आध्यात्मिक सुख भी मिल रहा है। बधाई स्वीकारें।

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